प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं से

”…बहुचर्चित हार्डीबम काण्ड के क्रांतिकारी एवं स्वाधीनता संग्राम के दिनों मे ही ‘आशा’ पत्र के सम्पादक के रूप मेब्रिटिश साम्राज्यशाही को नाकों चने चबा देने वालेक्रांतिकारी पत्रकार श्री रोशन लाल गुप्त ‘करुणेश’ को शासन द्वारा उचित सम्मान नहीं दिया गया… ये उल्लेखनीय हैकि स्वाधीनता संग्राम मेंही एक बम विस्फोट में करुणेश जी की नेत्र ज्योति क्षीण हो गई.. फिर भी वे ४५ वर्ष से पत्रकारिता व सहित्य क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान देते आ रहे है…”

– ‘कादम्बिनी’ ( मई१९८५ पृष्ट ९ )

”…सन १९३८ से ‘आशा’  पत्र का २ वर्ष तक लगातार प्रकाशन हुआ . इसके सम्पादक श्री रोशन लाल गुप्त ‘करुणेश’ ने मार्च १९४० मे उधमसिंह आजाद द्वारा माइकल ओडायर को लन्दन मेंगोलियों से भून देने का समाचार छाप कर जैसे म्रत्यु को निमंत्रण दे दिया था .. कलक्टर हार्डी ने पत्र पर प्रतिबंध लगाने के साथ समाचार सूत्र जानने के लिये नारकीय यातनायें दीं.इन यातनाओं व हार्डी की नादिरशाही  का बदला २७ सितम्बर १९४० को करुणेश जी के त्रिकंटक दल ने बम विस्फोट करके लिया । जिसका प्रसारण बर्लिन रेडियो के सप्तहिक प्रसारण में प्रमुख रूप से किया गया था…”

– ‘नवभारत टाइम्स (२७ अगस्त,१९८६ )

”…क्रांतिकरी श्री रोशन लाल गुप्त ‘करुणेश’ ने १९३८ मे ‘आशा’ पत्र का सम्पादन करके बि्रिटश साम्राज्यवाद  को नाकों चने चबा देने को मजबूर किया ..सन्‌ १९४० में सरदार  ऊधमसिंह आज़ाद द्वारा लन्दन में जनरल ओडायर को गोली से मार देने का समाचार ‘आशा’ के मुख्य पृष्ठ पर छाप देने पर ब्रिटिश नौकरशही ने ‘करुणेश जी’ को यातनायेदी और समाचार पत्र पर प्रतिबंध लगा दिया .. बम विस्फोट  की विषैली गैस से नेत्रो की ज्योति क्षीण (१९४०) हो जाने पर भी ‘करुणेश जी ‘   की लेखनी अनवरत चल रही है.. ‘करुणेश’ सुप्रसिद्घ हार्डी बम काण्ड के क्रांतिकरी है।.”

– ‘ धर्मयुग ‘ (३ मई,१९८७, पृष्ठ ४)

योगदान – अभिनन्दन गुप्ता (पौत्र)

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Ravi Dinesh Gupta
Ravi Dinesh Gupta
7 years ago

hI,During my childhood may be i was like 12 year old i along with my grandfather(Deviprasad Gupta) visited Roshanlal gupta,He was my grandfather friend before independence.
He give us a book in which an article about my own grandfather and my maternal grandfather( My Nana) name was mention.
Through that book i came to know why my grandfather left Agra and settled in Mumbai before independence as british police was harrasing my grandfather for whereabout of Mr Roshanlal Karunesh.

Can i have the copy of that book or can i download a copy from website or internet.

Thanks in Advance.

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